उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री के तमाम दावों को नकार, हृदय रोग संस्थान कानपुर बना भ्रष्टाचार का अड्डा

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सिद्धि संवाददाता –कानपुर

इमरजेंसी सेवाओं में रिश्वतखोरी और लापरवाही से मरीज की जान पर खतरा

कानपुर। स्वास्थ्य मंत्री के तमाम दावों और सरकारी आदेशों के बावजूद कानपुर के कार्डियोलॉजी विभाग में अव्यवस्था, लापरवाही और रिश्वतखोरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला एक ऐसे मरीज का है जिसकी गंभीर स्थिति के बावजूद उसे न केवल उचित इलाज से वंचित किया गया, बल्कि जांच के नाम पर उससे खुलेआम पैसे मांगे गए। इस घोर लापरवाही ने मरीज की जान को सीधा खतरे में डाल दिया।

प्रकरण के अनुसार, पीड़ित मरीज रविवार को अचानक तबीयत बिगड़ने पर कार्डियोलॉजी विभाग पहुंचा। उसे सांस फूलने, चलने में कठिनाई और बार-बार बेहोश होने जैसी गंभीर समस्याएं थीं। प्रारंभिक जांच में ट्रोपोनिन और ईसीजी सामान्य बताए गए। मरीज ने 2022 में हुए मेजर अटैक और उसके बाद हुए उपचार की जानकारी भी दी, लेकिन इसके बावजूद उसे गंभीरता से न लेते हुए हैलेट अस्पताल भेज दिया गया। वहां से भी बिना ठोस इलाज के वापस लौटा दिया गया।

दूसरे दिन हालत और खराब होने पर मरीज ने दोबारा कार्डियोलॉजी में पंजीकरण कराया (UHID: 20250176174, समय लगभग शाम 7:46 बजे)। यहां डॉ. पियूष कजोड़िया ने एबीजी सहित कुछ जांचें लिखीं। लेकिन आरोप है कि जांच प्रक्रिया के दौरान कर्मचारी निश्चंत वर्मा ने खुलेआम पैसे मांगे और बिना पैसे दिए जांच करने से मना कर दिया। इस दौरान अनजु साहू नामक कर्मचारी भी उसके साथ मिला हुआ था। पीड़ित का कहना है कि दोनों ने मिलकर पर्चे में हेरफेर की और अंततः उसे बिना जांच किए पर्चा फाड़कर घर भेज दिया।

मरीज की हालत बिगड़ने पर अंततः उसे मधुराज अस्पताल जाना पड़ा, जहां हुई जांच में गंभीर हृदय रोग की पुष्टि हुई। अगर समय रहते उचित उपचार मिलता तो उसकी जान पर मंडराया खतरा टल सकता था।

मरीज ने इस पूरे मामले की शिकायत अस्पताल निदेशक डॉ. राकेश कुमार वर्मा को भेजी है। शिकायत में उसने पूरे घटनाक्रम का विवरण देते हुए संबंधित कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई, रिश्वतखोरी की जांच, पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराने और हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति की मांग की है। मरीज ने अपने UHID नंबर और रजिस्टर्ड समय का भी स्पष्ट उल्लेख किया है।

शिकायत में यह भी कहा गया है कि यदि इस प्रकरण पर त्वरित और सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो वह न्यायालय और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने को विवश होगा। साथ ही, सार्वजनिक मंचों पर भी अस्पताल की इस अमानवीय लापरवाही को उजागर करेगा।

यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर करता है और सरकार के दावों की हकीकत सामने लाता है। जिस कार्डियोलॉजी विभाग पर भरोसा कर हजारों मरीज आते हैं, वहीं अगर भ्रष्टाचार और लापरवाही का बोलबाला रहेगा तो मरीजों की जान पर लगातार खतरा बना रहेगा।