निखिल वर्मा
नगर संवाददाता उन्नाव
“जब विद्यालय ही बन जाए जान का खतरा, तो शिक्षा का क्या होगा भविष्य?”
स्थान:। प्राथमिक विद्यालय, केसरगंज कैथियाना मोहल्ला, नगर क्षेत्र – उन्नाव, उत्तर प्रदेश
शिक्षा के मंदिर पर मंडरा रहा मौत का साया!
उन्नाव जिले के केसरगंज कैथियाना मोहल्ले में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय न केवल शिक्षा के मूलभूत अधिकार को चुनौती दे रहा है, बल्कि सैकड़ों मासूम बच्चों की जान के लिए एक खुला खतरा बन चुका है।
विद्यालय के ठीक बगल में एक वर्षों पुरानी जर्जर और खंडहरनुमा इमारत खड़ी है, जिसकी हालत इतनी भयावह है कि वह कभी भी गिर सकती है। दीवारें झुकी हुई हैं, ईंटें बाहर निकल चुकी हैं, छत से पेड़ उग आए हैं और जगह-जगह दरारें साफ देखी जा सकती हैं।
विद्यालय का प्रवेश द्वार, जिसके ठीक बगल में टूटी हुई ईंटों का ढेर और गिरी हुई दीवारें हैं लटकती झाड़ियाँ और खुले बिजली के तार किसी गंभीर हादसे का संकेत दे रहे हैं। खंडहर के भीतर का हाल – अंधेरा, गड्ढे और टूटी हुई संरचना जो किसी भी क्षण जानलेवा बन सकती है।
स्थानीय लोगों और शिक्षकों की चेतावनी अनसुनी!
स्थानीय निवासी और विद्यालय स्टाफ कई बार प्रशासन, नगर निगम और शिक्षा विभाग को लिखित और मौखिक शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन हर बार फाइलें धूल खाती रह गईं और खतरा वहीं बना रहा।
बच्चे रोज इस खंडहर के पास से निकलते हैं, खेलते हैं, और पढ़ाई करते हैं – लेकिन हर दिन उनका जीवन खतरे में है।
सवाल उठता है:
यदि यह खंडहर अचानक गिर पड़ा तो कौन होगा जिम्मेदार?
क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?
क्या यह बच्चों के जीवन और शिक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं?
स्थानीय आवाज़ें कहती हैं:
> “हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। क्या अब किसी हादसे के बाद ही सरकारी नींद खुलेगी?”
–
विद्यालय की सिक्षिका
> “हम डर के साए में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। हर बारिश के बाद खतरा और बढ़ जाता है।”
मांग है – त्वरित कार्रवाई की जाए:
जर्जर भवन को तत्काल गिराया जाए
बच्चों के लिए सुरक्षित शिक्षा वातावरण सुनिश्चित किया जाए
दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई हो
यह केवल उन्नाव की नहीं, पूरे प्रदेश की व्यवस्था पर सवाल है। जब सरकारी विद्यालय ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कैसी और भविष्य कैसा?