अनुज कुमार वर्मा
ब्यूरो–सिद्धि टुडे, उन्नाव
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश में निराश्रित गोवंश को सुरक्षित आश्रय देने और जनता को उनकी परेशानियों से मुक्ति दिलाने के लिए बार‑बार स्पष्ट निर्देश दिए। करोड़ों रुपये का बजट जारी कर गौशालाओं का निर्माण कराया गया, ताकि गौमाता को चारा‑भूसा, पानी और देखभाल की पूरी सुविधा मिल सके और किसानों व आम लोगों को भी राहत मिले। लेकिन उन्नाव की तस्वीर इन आदेशों और मंशा से बिल्कुल उलट है।
जिले की कई गौशालाएं खाली पड़ी हैं, और जहां पर पशु रखे गए हैं, वहां चारा‑भूसा और पानी की भारी कमी है। बीमार गायों के इलाज की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। कई जगहों पर पशु भूख‑प्यास से बेहाल पड़े हैं। यह स्थिति साफ दिखाती है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद जमीनी स्तर पर व्यवस्था ध्वस्त है।
किसानों की सबसे बड़ी चिंता आज भी फसल की सुरक्षा है। आवारा मवेशी रातों‑रात खेतों में घुसकर मेहनत की कमाई चौपट कर देते हैं। मजबूरी में किसान रात‑रातभर खेतों में जागकर पहरा देने को विवश हैं। नींद पूरी न होने से स्वास्थ्य बिगड़ता है और नुकसान से आर्थिक संकट गहराता है। किसानों का कहना है कि गौशालाओं के बावजूद उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं, बल्कि हालात जस के तस बने हुए हैं।
सड़क पर भी खतरा लगातार बना हुआ है। दोपहिया वाहन चालकों और राहगीरों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत आवारा पशु ही हैं। आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं, जिनमें जान तक चली जाती है। कस्बों और गांवों में मवेशी खुलेआम कूड़े‑कचरे में मुंह मारते हैं, जिससे गंदगी और जाम की समस्या खड़ी होती है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक बनी हुई है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब कोई पत्रकार या जागरूक नागरिक गौशालाओं की वास्तविक स्थिति देखने पहुंचता है, तो उसे प्रवेश नहीं दिया जाता। पहले कहा जाता है— “पहले परमिशन लेकर आइए”, और अगले ही दिन गेट पर बड़ा‑बड़ा बोर्ड टांग दिया जाता है— “बिना आज्ञा प्रवेश निषेध”। यह रवैया साफ बताता है कि व्यवस्था की सच्चाई को जनता से छिपाने की कोशिश की जा रही है।
गौशालाओं के रखरखाव और चारा‑भूसा पर हर महीने लाखों रुपये का बजट जारी होता है। निर्माण पर भी करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इसके बावजूद न तो गायों को सुविधा मिल रही है और न ही जनता को राहत। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह बजट कहां खर्च हो रहा है?
गौसंरक्षण की योजना का उद्देश्य गौमाता को सम्मान और सुरक्षा देना तथा जनता को राहत पहुंचाना था। लेकिन उन्नाव में यह योजना फाइलों और बोर्डों तक सिमटकर रह गई है। जमीन पर स्थिति बिल्कुल उलटी है—गौशालाएं बदहाल हैं, किसान और जनता परेशान हैं और आदेशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ रही हैं। यदि प्रशासन ने समय रहते सख्ती नहीं दिखाई तो यह लापरवाही न केवल किसानों और जनता की मुसीबत बढ़ाएगी बल्कि सरकार की मंशा पर भी गंभीर सवाल खड़े करेगी।