अनुज कुमार वर्मा
सिद्धि टुडे, ब्यूरो उन्नाव
उन्नाव। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में बैटरी रिक्शा और ऑटो चालकों की मनमानी यातायात व्यवस्था के साथ-साथ जनता की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है। इन चालकों की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता के कारण दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बना रहता है।
सवारी के बजाय सामान ढोने का चलन:
कई ऑटो चालक सवारियों को बैठाने के बजाय भारी सामान जैसे लोहे के पाइप, एंगल, सरिया, लोहे की चादरें, और अन्य भारी वस्तुएं ढोते हैं। ऐसे सामान सही तरीके से लोड नहीं किए जाने के कारण ये वाहन सड़क पर खतरा बन जाते हैं। तेज रफ्तार में सामान गिरने या अन्य वाहनों से टकराने का खतरा बना रहता है। यह लापरवाही बड़े हादसों को आमंत्रित कर सकती है।
लाइसेंस और नंबर प्लेट का अभाव:
कई बैटरी रिक्शा और ऑटो चालक बिना वैध लाइसेंस के गाड़ी चला रहे हैं। अधिकतर वाहनों पर नंबर प्लेट भी नहीं होती, जिससे दुर्घटना होने पर इन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है। प्रशासन और आरटीओ इस ओर आंखें मूंदे हुए हैं।
नाबालिग लड़के चला रहे वाहन:
सड़कों पर कई बैटरी रिक्शा नाबालिग लड़के चला रहे हैं, जिनके पास ना अनुभव है और ना ही नियमों की जानकारी। इस लापरवाही के चलते दुर्घटनाओं की आशंका और बढ़ जाती है।
आम जनता की सुरक्षा खतरे में:
रिक्शा चालकों की मनमानी से यातायात बाधित होता है, और अन्य वाहन चालकों को अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। सड़क के बीच में गाड़ी रोकना, भारी सामान लेकर अनियंत्रित तरीके से चलना, और यातायात नियमों की अनदेखी आम बात हो गई है।
प्रशासन की निष्क्रियता:
नगर पालिका और आरटीओ द्वारा बनाए गए नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है। जिन चालकों पर कार्रवाई की जाती है, वे अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर बच निकलते हैं। इस उदासीनता से चालकों का मनोबल और बढ़ जाता है।
आवश्यक कदम
1. सवारियों के बजाय भारी सामान ढोने पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाए।
2. बैटरी रिक्शा और ऑटो के लिए वैध लाइसेंस और नंबर प्लेट अनिवार्य की जाए।
3. नाबालिग चालकों पर रोक लगाई जाए और उनके अभिभावकों पर कार्रवाई हो।
4. यातायात नियमों के पालन के लिए नियमित जांच अभियान चलाया जाए।
5. प्रशासनिक उदासीनता खत्म कर नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।