अनुज कुमार वर्मा
ब्यूरो – सिद्धि टुडे, उन्नाव
उन्नाव जिला एक बार फिर अधिवक्ताओं और पुलिस आमने–सामने आने की बड़ी घटना का गवाह बना है। दही थाना क्षेत्र के त्रिकुमान नगर में हुए विवाद ने मंगलवार को ऐसा मोड़ लिया कि थानाध्यक्ष तक को कार्रवाई की जद में आना पड़ा।
307 दाखिल, गिरफ्तारी और मारपीट के आरोप
आरोप है कि बीते दिवस अधिवक्ता पीयूष कुमार लोधी पर दही थाना पुलिस ने धारा 307 (हत्या का प्रयास) सहित गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस अधिवक्ता को घर से गिरफ्तार करने पहुँची, जहाँ अधिवक्ता पक्ष का आरोप है कि गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने उनके साथ मारपीट की। अधिवक्ता के शरीर पर चोट के निशान दिखने का दावा उनके साथियों ने किया है।
कोर्ट में रिमांड की कार्यवाही बनी संघर्ष का कारण
मंगलवार को पुलिस अधिवक्ता को रिमांड हेतु कोर्ट लेकर पहुँची तो कोर्ट परिसर में 30–40 अधिवक्ताओं ने पुलिस के विरुद्ध नाराजगी जताते हुए जोरदार हंगामा किया।
अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि 307 की धारा झूठी लगाई गई है और पुलिस ने अधिवक्ता के साथ दुर्व्यवहार किया है।
जिला जज की नाराज़गी सामने आने के बाद अदालत ने पुलिस रिमांड को रिफ्यूज कर दिया। घायल अधिवक्ता को साथी वकील जिला अस्पताल लेकर पहुँचे, जहाँ उनका इलाज जारी है।
दूसरी तरफ पुलिस का आरोप — टीम पर हमला, वर्दी फाड़ी, सिपाही लहूलुहान
उधर पुलिस का दावा इसका उलटा है।
दही थाना पुलिस के अनुसार, विवाद की सूचना पर पहुँची टीम पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया:
सिपाही शोभित के सर पर गंभीर चोट, खून से लथपथ पट्टी बँधी
पुरुष–महिला दोनों ने मिलकर पुलिस टीम पर पथराव किया
एक सिपाही की वर्दी फाड़ी गई
घटनास्थल से दो आरोपी — अधिवक्ता पीयूष लोधी सहित — गिरफ्तार किए गए
सात नामजद समेत कई अज्ञात पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज
पुलिस के मुताबिक बाकी आरोपियों की तलाश जारी है।
थानाध्यक्ष पर कार्रवाई — लेकिन क्यों?
पूरा बवाल बढ़ने के बाद दही थाना प्रभारी को सस्पेंड किए जाने की खबरें सामने आई हैं।
अधिवक्ताओं का आरोप है कि फर्जी 307 लगाने से लेकर अधिवक्ता संग दुर्व्यवहार तक सब थानाध्यक्ष की जानकारी में हुआ।
इसी के चलते कार्रवाई की चर्चा पूरे जिले में तेज है।
अपराध इतिहास भी आया सामने
इसी बीच अधिवक्ता पियूष लोधी का पुराना अपराधिक रिकार्ड भी सामने आने की बात कही जा रही है। सूत्रों के अनुसार उनके खिलाफ 5 मुकदमे पंजीकृत हैं।
हालाँकि अधिवक्ता पक्ष का कहना है कि यह इतिहास दिखाकर मामले की गंभीरता को मोड़ने की कोशिश हो रही है।
काला कोट बनाम खाकी – किसकी सुनवाई?
एक तरफ अधिवक्ता के शरीर पर चोटों के निशान,
दूसरी ओर सिपाही के सिर पर खून से भीगा कपड़ा…
आखिर सही कौन? गलत कौन?
यह अब पूरी तरह जांच का विषय है।
उन्नाव में काला कोट और खाकी का यह टकराव जिलास्तर पर बड़ी चर्चा का मुद्दा बन गया है।
अब सबकी निगाहें पुलिस विभाग, न्यायपालिका की जांच और प्रशासन की आगे की कार्रवाई पर टिकी हैं।



























