मनीष कुमार
सिद्धि टुडे- उत्तर प्रदेश
श्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री पोषण अभियान के अंतर्गत अक्षय पात्र द्वारा नवनिर्मित मध्याह्न भोजन रसोईघर के उद्घाटन के साथ ही महात्मा गाँधी पुस्तकालय के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन भी किया और माणसा के सिविल अस्पताल और चंद्रासर तालाब का दौरा किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में माणसा के विकास के लिए गुजरात सरकार शिक्षा और विकास के दृष्टिकोण से हरसंभव प्रयास कर रही है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने को-ऑपरेटिव सेक्टर में कई नए क्षेत्र यहां खोल दिए हैं और हमें ऐसी व्यवस्था करनी है कि सभी 13 प्रकार की सहकारी नीतियां माणसा में शुरू हो सकें और माणसा को-ऑपरेटिव की दृष्टि से एक मॉडल बने।हमें 2024 से पहले माणसा में हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध करानी है और ये हम सब मिलकर करेंगे जिसमें गुजरात सरकार हमारे साथ है।आज बाल गंगाधर तिलक का जन्मदिन है और आज ही के दिन ही माणसा में सरदार पटेल सांस्कृतिक भवन का निर्माण गुजरात सरकार द्वारा किया गया है।जिस लाइब्रेरी में मुझे पढ़ने का मौक़ा मिला वह लाइब्रेरी टूटी-फूटी हालत में थी और आज उसी लाइब्रेरी का तीन मंजिला भवन किताबों के साथ पुनर्जीवित हुआ है।इस पुस्तकालय को विश्व के लगभग तीस पुस्तकालयों के साथ सीधा इलेक्ट्रॉनिकली जोड़ा गया है और इस वर्ष 31 अगस्त से ये सभी लाइब्रेरी ऑनलाइन होने वाली हैं।किसी भी देश का भविष्य इंडस्ट्री, सेना, टैक्स आदि से तय नहीं होता है, बल्कि उस देश की लाइब्रेरी में कितने युवा जा रहे हैं, उससे तय होता है।माणसा में चल रहे सिविल अस्पताल के अलावा बड़ा अस्पताल भी जल्द शुरू किया जाएगा, पानी सप्लाई की योजना मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल जी के नेतृत्व में बन रही है जिससे लगभग 10 लाख लीटर पानी की दैनिक जरूरत पूरी होगी।माणसा-बावला 4-लेन रोड के लिए 40 करोड़ रुपए दिए गए हैं और विकास योजनाओं के लिए भी 50 करोड़ रुपए का आवंटन आज हुआ है।क्षेत्र के 13 तालाबों को आंतरिक रूप से जोड़ने का कार्यक्रम भी गुजरात सरकार ने बनाया है।अगर इन सभी तालाबों को जोड़ दिया जाएं, तो सभी 13 तालाबों में 12 महीने नर्मदा का पानी रह सकता है, लगभग 5,000 टन सॉलि़ड वेस्ट के निकास के लिए भी नगर पालिका ने व्यवस्था की है।मैंने आज यहां 25 हजार बालकों के लिए स्वच्छ भोजन, पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन बनाने की अक्षयपात्र द्वारा की गई व्यवस्था देखी है, जिसमें भोजन बनने की पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी मनुष्य को हाथ लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।