अनुज कुमार वर्मा
ब्यूरो–सिद्धि टुडे, उन्नाव
उन्नाव जनपद के अजगैन थाना क्षेत्र से एक अत्यंत गंभीर मामला सामने आया है, जिसने स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता द्वारा 3 नवम्बर को प्रार्थना पत्र देने के बाद भी आज तक किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई न होना अपने-आप में जांच का विषय है। लड़की पक्ष कई बार थाना पहुंच चुका है, लेकिन पुलिस अब तक लड़का पक्ष को बुलाने तक में असक्षम साबित हुई है, जबकि पीड़िता का आरोप है कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर दो वर्षों तक उसका शारीरिक शोषण किया।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि आदेश और शिकायत दोनों के बाद भी FIR दर्ज नहीं की गई। पीड़ित परिवार का कहना है कि थाना केवल तारीख देकर चलता कर देता है, जबकि आरोपी बेखौफ घूम रहा है। यह स्थिति न केवल कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि कहीं न कहीं आरोपी पक्ष को संरक्षण मिल रहा है।
पीड़िता और उसके परिवार की हालत यह है कि वे अपने ही घर में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे और दूसरे स्थान पर शरण लेकर दिन-रात न्याय की उम्मीद में भटक रहे हैं। कानून कहता है कि ऐसे मामलों में FIR तत्काल दर्ज होना अनिवार्य है, लेकिन यहां प्रक्रिया उलटी चल रही है—पीड़िता चक्कर काट रही है, और थाना चुप्पी ओढ़े बैठा है।
“बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ” का नारा तब अर्थहीन लगता है, जब एक बेटी थाने के द्वार पर न्याय की भीख मांगती रह जाए। यह मामला सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि व्यवस्था की संवेदनहीनता का दर्पण है।
पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक उन्नाव से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि आरोपी पर तत्काल कार्रवाई हो सके और बेटी को न्याय मिल सके, जिसकी वह महीनों से प्रतीक्षा कर रही है।




























