अनुज कुमार वर्मा
ब्यूरो –सिद्धि टुडे, उन्नाव
जिम्मेदारों की नाक के नीचे नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाता सुपर हॉस्पिटल
उन्नाव जनपद का मियागंज इन दिनों अवैध अस्पतालों का गढ़ बनता जा रहा है। चौराहे पर खुले “सुपर हॉस्पिटल” के नाम से संचालित यह संस्थान बिना किसी रजिस्ट्रेशन, बिना फायर सेफ्टी, बिना मानक स्टाफ और बिना जरूरी सुविधाओं के खुलेआम चल रहा है। हैरत की बात यह है कि सारी गतिविधियां स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की आंखों के सामने हो रही हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ मौन साधा गया है। आखिर सवाल उठना लाजमी है कि जब एक छोटा-सा नर्सिंग होम शुरू करने के लिए दर्जनों मानक और अनुमति जरूरी है, तब यह “सुपर हॉस्पिटल” किसकी शह पर फल-फूल रहा है?
नियमों का मजाक
भारत सरकार और प्रदेश सरकार ने स्पष्ट प्रावधान कर रखा है कि कोई भी निजी अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन संचालित नहीं हो सकता। फायर सेफ्टी से लेकर क्वालिफाइड डॉक्टर और नर्स की उपलब्धता तक, हर मानक की जांच जरूरी है। लेकिन मियागंज के इस अस्पताल में न तो आग से बचाव की कोई व्यवस्था है, न ही प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ। यहां तक कि आपातकालीन स्थिति में मरीजों की जान बचाने वाले उपकरण तक मानक के अनुसार नहीं पाए गए। साफ है कि यह अस्पताल मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की भूमिका संदिग्ध
सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब यह अस्पताल चौराहे पर, सबके सामने खुलेआम चल रहा है, तो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी क्यों चुप हैं? सीएमओ ऑफिस से लेकर सीएचसी तक, सबकी आंखों के सामने यह खेल चल रहा है। क्या यह संभव है कि अधिकारियों को इसकी भनक न हो? या फिर यह पूरा खेल मिलीभगत का है? आम जनता कह रही है कि बिना संरक्षण के इतनी बड़ी लापरवाही मुमकिन ही नहीं।
मरीजों की जिंदगी खतरे में
इस अस्पताल में इलाज कराने वाले गरीब और अनजान मरीजों को क्या पता कि जिस जगह वे अपने जीवन को सुरक्षित मान रहे हैं, वही जगह उनकी जिंदगी छीन सकती है। बिना योग्य डॉक्टरों और प्रशिक्षित स्टाफ के इलाज के नाम पर सिर्फ लापरवाही और जोखिम परोसा जा रहा है। एक छोटी-सी गलती यहां बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। पहले भी कई जिलों में ऐसे ही अवैध अस्पतालों से मरीजों की मौत की खबरें आ चुकी हैं। लेकिन हर बार कार्रवाई का आश्वासन देकर मामला दबा दिया जाता है।
चौराहे पर खुला तमाशा
मियागंज का सुपर हॉस्पिटल चौराहे पर स्थित है, जहां दिन-रात लोगों की नजरें रहती हैं। बावजूद इसके, इसे बंद कराने की जगह अधिकारी चुप्पी साधे हैं। यह चुप्पी साफ इशारा करती है कि जिम्मेदार ही इस खेल के “सुपर पार्टनर” हैं। आमजन पूछ रहे हैं – अगर यही हाल रहा तो कौन सा अस्पताल सुरक्षित और मानक के अनुसार माना जाएगा?
जनता का सवाल – कब रुकेगा यह गोरखधंधा?
मियागंज के लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक गरीब और अनजान लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जाता रहेगा? क्या प्रशासन सिर्फ हादसों का इंतजार करेगा और फिर बाद में “जांच की जाएगी” का रटा-रटाया बयान देगा? अगर अभी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सुपर हॉस्पिटल किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
अब वक्त आ गया है कि शासन-प्रशासन नींद से जागे और इस तरह के अवैध अस्पतालों पर तुरंत शिकंजा कसे। वरना आने वाले दिनों में मियागंज “सुपर हॉस्पिटल” जैसे मौत के अड्डों का गढ़ बन जाएगा।





























