सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की हत्या से मचा हड़कंप! पुलिस पर गिरी गाज, कोतवाल लाइन हाजिर – तीन सिपाही सस्पेंड

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अनुज कुमार वर्मा
ब्यूरो, सिद्धि टुडे, उन्नाव

➡️ पत्रकारों में उबाल – दोषियों की गिरफ्तारी तक नहीं रुकेगा संघर्ष!
➡️ मुख्यमंत्री से अपील – पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कानून बने!
➡️ सवालों के घेरे में पुलिस – हत्या से पहले क्या कर रही थी महोली पुलिस ?

उन्नाव

उत्तर प्रदेश में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब सच की आवाज उठाने वाले पत्रकार भी सुरक्षित नहीं रहे। दैनिक जागरण के निर्भीक पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की नृशंस हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। घटना के बाद पत्रकार संगठनों में उबाल है और प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है।

जनदबाव और बढ़ते विरोध को देखते हुए पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में एसपी ने महोली कोतवाल को लाइन हाजिर कर दिया, जबकि चौकी इंचार्ज समेत तीन सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया। लेकिन क्या सिर्फ निलंबन ही काफी है?

हत्यारों की गिरफ्तारी कब? पुलिस के दावों पर उठ रहे सवाल

पत्रकार की हत्या को कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक असली गुनहगार पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस का दावा है कि कुछ संदिग्ध हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ जारी है, लेकिन जब तक अपराधी सलाखों के पीछे नहीं पहुंचते, तब तक पत्रकार समुदाय और जनता में गुस्सा कम नहीं होगा।

“हमारी कलम को चुप कराने की साजिश बर्दाश्त नहीं!” – पत्रकारों का ऐलान

इस नृशंस हत्या के बाद प्रदेशभर के पत्रकारों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “अगर जल्द ही न्याय नहीं मिला, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। हम सच के लिए जीते हैं और सच के लिए लड़ेंगे!”

पत्रकार संगठनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि—
✅ दिवंगत पत्रकार के परिवार को आर्थिक सहायता, सरकारी आवास और सरकारी नौकरी मिले।
✅ पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
✅ पत्रकारों पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो।

क्या सिर्फ निलंबन से रुकेगा अपराध? जनता और पत्रकारों में रोष!

प्रशासन की इस कार्रवाई को पत्रकार “लीपापोती” मान रहे हैं। लोगों का सवाल है कि “अगर पुलिस सतर्क होती, तो क्या राघवेंद्र बाजपेई की जान बचाई नहीं जा सकती थी?” क्या सिर्फ कोतवाल और सिपाहियों का निलंबन इस जघन्य अपराध का हल है?

‘पत्रकार एकता जिंदाबाद’ के नारों से गूंजा प्रदेश – दोषियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग

प्रदेश के पत्रकार एकजुट होकर सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार से इस घटना की गंभीरता से जांच करने व सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि “अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो हम चुप नहीं बैठेंगे!”

अब उठ रहे ये सवाल:

❓ क्या पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कानून बनेगा?
❓ मुख्य आरोपी अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं हुए?
❓ पुलिस की लापरवाही से हुई यह हत्या – जिम्मेदार कौन?
❓ क्या अब पत्रकारों को अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी?

आगे क्या?

इस घटना को लेकर पूरे प्रदेश की नजरें सरकार और पुलिस प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। क्या असली गुनहगारों को कड़ी सजा मिलेगी? या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

अब समय आ गया है कि सरकार ठोस कदम उठाए, ताकि पत्रकार बिना डर के सच लिख सकें!

पत्रकार एकता जिंदाबाद! सच की आवाज को दबाया नहीं जा सकता!