उन्नाव में रिश्वतखोर दरोगा गिरफ्तार, वर्दी के पीछे छिपा दलाल बेनकाब!

0
167

अनुज कुमार वर्मा

ब्यूरो–सिद्धि टुडे, उन्नाव

उन्नाव। “साहब, बस 3,500 रुपए दे दो, तुम्हारा काम हो जाएगा!” – मौरावां थाने के दरोगा राजेंद्र सरोज ने शायद यह सोचकर यह डील फाइनल की थी कि रोज की तरह मामला रफा-दफा हो जाएगा। लेकिन उसे क्या पता था कि इस बार वर्दी की दलाली का सौदा उसकी ही गिरफ्तारी पर खत्म होगा! एंटी करप्शन टीम पहले से ही जाल बिछा चुकी थी, जैसे ही दरोगा ने रिश्वत के पैसे छुए, वैसे ही उसकी गर्दन कानून के फंदे में फंस गई!

ढाबे पर हुई डील, वहीं बिछ गई बिसात!

पूरा मामला एक सड़क दुर्घटना से जुड़ा था। शिकायतकर्ता इंसाफ चाहता था, लेकिन दरोगा उसे “सेटिंग” की पट्टी पढ़ाने लगा। उसने साफ कह दिया – “3,500 दो, मामला खत्म!” मगर शिकायतकर्ता ने पुलिस के इस दलाल के खिलाफ एंटी करप्शन टीम से संपर्क कर लिया।

टीम ने प्लान बनाया, जगह तय हुई – मौरावां थाने के बाहर एक ढाबा! दरोगा इत्मिनान से पहुंचा, पैसे हाथ में लिए, और बस… अगले ही पल एंटी करप्शन टीम ने दबोच लिया! रिश्वतखोर दरोगा जो अभी तक कानून बेच रहा था, अब खुद उसकी गिरफ्त में था।

रिश्वतखोरी की जड़ में है “मजबूरी” या “आदत”?

अब सवाल ये उठता है – क्या वाकई पुलिस भ्रष्ट हो चुकी है, या फिर सिस्टम ने उन्हें मजबूर कर दिया है?

12-14 घंटे की ड्यूटी, बिना छुट्टी के नाइट शिफ्ट!

तनख्वाह इतनी कम कि गुज़ारा मुश्किल!

ऊपर से अफसरों का दबाव, नेताओं की चाटुकारिता!

जब सरकार पुलिसवालों को अच्छी सैलरी और बेहतर सुविधाएं नहीं देती, तो सिस्टम में सड़ांध आना तय है! लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वर्दी पहनकर कोई भी कानून का सौदा करने लगे।

छोटी गिरफ्तारी से कुछ नहीं होगा, अब पूरा सिस्टम हिलाना होगा!

राजेंद्र सरोज के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। लेकिन क्या एक दरोगा पकड़ने से सिस्टम सुधर जाएगा? जब तक पूरी पुलिस फोर्स की सफाई नहीं होगी, जब तक रिश्वतखोरी का जड़ से इलाज नहीं होगा, तब तक ये सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।

अब जनता को तय करना होगा – हम सिर्फ तमाशा देखते रहेंगे, या फिर इस सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे?