अनुज कुमार वर्मा
ब्यूरो –सिद्धि टुडे, उन्नाव
उन्नाव जिले में एक युवती की चीखें अब पूरे सिस्टम की नींद उड़ाने लगी हैं।
ग्राम महेशखेड़ा मजरा माकूर निवासी गुड़िया पुत्री रामबरन महीनों से न्याय की गुहार लगा रही है, लेकिन पुलिस की खामोशी उसकी पीड़ा को और गहरा बना रही है। सवाल ये है कि एक बेटी की सुरक्षा पर प्रशासन आखिर कितना देर तक मौन रहेगा?
शादी का झांसा, सालों का शोषण—फिर अचानक इनकार
आरोप है कि ग्राम ओरहापुर कौड़िया निवासी प्रदीप पुत्र रमाकांत ने शादी के नाम पर वर्षों तक शारीरिक शोषण किया।
जब समाज के सामने रिश्ते को निभाने की बारी आई, तो प्रदीप ने सीधे-सीधे शादी से इनकार कर दिया।
पीड़िता टूट चुकी है, लेकिन प्रशासन की उदासीनता उसकी मजबूरी को और भयावह बना रही है।
अजगैन थाने में शिकायत—पर कार्रवाई की फाइल जैसे जानबूझकर ठंडे बस्ते में
युवती ने थाना अजगैन में शिकायत दी।
लेकिन महीनों बाद भी—
✔ न आरोपी की गिरफ्तारी
✔ न केस में कोई ठोस प्रगति
✔ न ही पीड़िता को सुरक्षा
परिवार अफसरों की चौखटें रगड़ रहा है, लेकिन कार्रवाई “शून्य” पर अटकी है। यह चुप्पी किसके इशारे पर है?
SP उन्नाव से कई बार गुहार—लेकिन सुनवाई का दरवाज़ा अब भी बंद
पीड़िता और परिजन कई बार उन्नाव पुलिस अधीक्षक से मिलकर न्याय की मांग कर चुके हैं।
लेकिन आज तक—
✔ न कोई कड़ा कदम
✔ न सुरक्षा
✔ न गिरफ्तारी
मामला जितना गंभीर है, उतनी ही बेरुखी सिस्टम की दिखाई दे रही है।
आरोपी बेखौफ घूम रहा, पीड़ित परिवार दहशत में जी रहा
पीड़िता ने आरोप लगाया है कि उसके परिवार को लगातार धमकियाँ दी जा रही हैं।
हालत इतनी बदतर है कि वे अपने ही घर में सुरक्षित नहीं और दूसरी जगह शरण लेने को मजबूर हैं।
उन्नाव पुलिस की निष्क्रियता अब स्वयं संदेहों के घेरे में है।
सबसे बड़ा सवाल—क्या उन्नाव पुलिस किसी “बड़ी घटना” के बाद ही जागेगी?
एक बेटी महीनों से न्याय की गुहार लगा रही है,
आरोपी खुलेआम घूम रहा है,
परिवार रोज़ मौत के डर में जी रहा है,
और प्रशासन खामोश है।
अगर किसी दिन यह खामोशी किसी बड़ी त्रासदी में बदल गई—तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
कब मिलेगी एक बेटी को सुरक्षा और न्याय की गारंटी?




























