अनुज कुमार वर्मा
ब्यूरो –सिद्धि टुडे, उन्नाव
रात के अंधेरे में उन्नाव की सड़कों पर एक अलग ही ‘शासन’ चलता है — न नियम का डर, न प्रशासन की पकड़। शहर के कई इलाकों में ऐसे वाहन खुलेआम घूमते हैं, जिन पर “विधायक” या अन्य प्रभावशाली पदों के अवैध पास लगे होते हैं। इन गाड़ियों पर ब्लैक फिल्म भी लगी होती है, जो सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
इतना ही नहीं, शहर के बीचों-बीच कई होटल और लॉज ऐसे हैं, जहां रात के समय संदिग्ध गतिविधियाँ देखी जाती हैं। इन स्थानों पर किसका संरक्षण है? कौन हैं वो लोग जो इन पर कार्रवाई से बच जाते हैं?
प्रशासन मौन, सवाल बेक़ाबू
जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस की नाक के नीचे ये गाड़ियाँ घूम रही हैं। अवैध पास लगाना एक गंभीर अपराध है, फिर भी कोई जांच नहीं होती। पुलिस हर चौक-चौराहे पर चेकिंग तो करती है, लेकिन इन गाड़ियों पर न कोई सवाल उठता है, न कोई चालान होता है।
प्रशासन से पूछा जाए तो जवाब साफ नहीं मिलता। जब आम जनता की गाड़ी पर हल्की सी फिल्म लगे तो तुरंत चालान, लेकिन नेताओं के नाम वाली गाड़ियों को छूट क्यों?
नेताओं के नाम पर ‘अराजकता’
इन गाड़ियों के मालिक खुद विधायक नहीं होते, लेकिन नेताओं के नाम या पास दिखाकर कानून की आंखों में धूल झोंकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है —
क्या यह सब कुछ प्रशासन की जानकारी में नहीं हो रहा?
या फिर ये गाड़ियाँ वास्तव में किसी बड़े ‘नेता’ या ‘अधिकारी’ की शह पर चल रही हैं?
कौन देगा जवाब?
क्या जिला प्रशासन जवाब देगा कि कितनी गाड़ियों पर अवैध पास लगे हैं?
क्या एसपी कार्यालय यह बताएगा कि कितनी कार्रवाई हुई है?
क्या उन होटलों की जांच होगी जो रात में अड्डा बने हुए हैं?
और सबसे अहम, क्या सत्ता की छाया में पल रही अराजकता पर कोई लगाम लगेगी?
जनता की उम्मीदें
उन्नाव की जनता अब जवाब चाहती है।
क्या प्रशासन वाकई निष्पक्ष है या फिर किसी दबाव में चुप बैठा है ?