मनीष कुमार
सिद्धि टुडे- उत्तर प्रदेश
आज का दिन छात्रों के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि वे विश्व की पहली फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी से अपनी डिग्री लेकर समाज में जा रहे हैं।
पहले गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और अब नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी जिस गति से सभी परिमाणों में प्रगति कर रही है और दुनियाभर में जिस तरह से उसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है उससे एक दशक में ही यह यूनिवर्सिटी विश्व में अपना एक नंबर स्थान सुनिश्चित कर लेगी।
2002-2003 में जब नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उनका विजन था कि देश में दोष सिद्धि व सजा दिलाने का प्रमाण बढ़ना चाहिए।
श्री नरेंद्र मोदी जी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होने एक बार फिर देश भर के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को मजबूत करने और फॉरेंसिक साइंस क्षेत्र में जरूरी संख्या में एक्सपर्ट उपलब्ध करने के लिए नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी खोलने का फैसला किया ।
मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार IPC, CRPC और Evidence Act तीनों में आमूलचूल परिवर्तन करने जा रही है क्योंकि आजादी के बाद इन कानूनों को किसी ने भारतीय नजरिए से नहीं देखा।
6 साल से ज्यादा सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक विजिट और फॉरेंसिक एविडेंस को अनिवार्य और कानूनी कर दिया जाएगा, इसके लिए trained manpower की जरूरत होगी और उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी।
इस दूर दृष्टि के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना की है और बहुत कम समय के अंदर ही इस यूनिवर्सिटी ने बहुत सारे राज्यों में अपने कैंपस खोल दिए हैं।
सरकार फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, फॉरेंसिक एक्सपर्ट मैन पावर, फॉरेंसिक टेक्नोलॉजी और फॉरेंसिक साइंस में अनुसंधान के चार स्तंभों पर मुख्य ज़ोर दे रही है ताकि भारत को इस क्षेत्र में विश्व में एक नंबर पर पहुंचाया जा सके।
मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार फॉरेंसिक साइंस के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए बहुत सारे राज्यों को सहयोग दे रही है।
आज जिन तीन एक्सीलेंस सेंटर का उद्घाटन हुआ है वे विद्यार्थियों के साथ-साथ देश की न्यायिक व्यवस्था को भी ताकत देंगेसेंटर ऑफ एक्सीलैंस DNA विश्व का अद्यतन से अद्यतन डीएनए सेंटर बनकर उभरेगा, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन साइबर सिक्योरिटी और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन्वेस्टिगेटिव एंड फॉरेंसिक साइकोलॉजी से क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को बहुत फायदा होगा।
ये तीनों सेंटर अध्ययन, अध्यापन, ट्रेनिंग और कंसलटेंसी के साथ-साथ रिसर्च एंड डेवलपमेंट के बड़े सेंटर बनेंगे और फॉरेंसिक साइंस अनुसंधान क्षेत्र में भारत दुनिया का हब बनेगा।
फॉरेंसिक साइंस लैब टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराने के लिए ढेर सारे काम किए गए हैं, आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार करती हुई फॉरेंसिक साइंस की दो मोबाइल लैब शुरू की गई हैं।
दोनों लैब भारत की कंपनियों ने बनाई हैं और ये 100% स्वदेशी हैं, ये लैब विश्व में सबसे ज्यादा आधुनिक भी है, देश के हर जिले में इस प्रकार की मोबाइल लैब उपलब्ध कारवाई जाएंगी।
70 से अधिक देशों और अनेक संगठनों ने फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के साथ 158 से अधिक समझौता ज्ञापन किए हैं, यह हम सब के लिए बहुत ही गर्व की बात है।
नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी न केवल विद्यार्थियों को फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में एक्सपर्ट बनाकर बाहर भेज रही है बल्कि साथ ही इसमें पूरे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के जितने भी आयाम है उनकी ट्रेनिंग की व्यवस्था भी कर रही है।
सरकार का लक्ष्य है कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के साथ इंटीग्रेट किया जाए ताकि देश में दोष सिद्धि दर को विकसित देशों से भी ऊपर ले जाया जा सके।
गृह मंत्रालय ने फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में डायरेक्टरेट ऑफ फॉरेंसिक साइंस सर्विस और नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी से लेकर राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान की शुरुआत सहित अनेक initiatives लिए हैं साथ ही CFSL को मजबूत करने, देशभर में DNA test के लिए जाल बिछाने और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की स्थापना की गई है।
डिग्री से छात्रों को तो लाभ मिलेगा ही साथ ही अगर इसका समाज व समाज सुधार की व्यवस्था को बेहतर बनाने में इस्तेमाल हो तो इससे पूरे देश का फ़ायदा होगा।
अपने साथ-साथ दूसरों और देश के लिए काम करना छात्रों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि इसी से संतोष और आनंद मिलता है।