गौशाला में लापरवाही से गोवंश की मौत, ग्रामीणों ने जताई नाराजगी

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अनुज कुमार वर्मा

ब्यूरो –सिद्धि टुडे, उन्नाव

जनपद के विकास खंड बिछिया अंतर्गत ग्राम पंचायत टीकरगांव स्थित गौशाला इन दिनों लापरवाही और कुप्रबंधन का शिकार हो चुकी है। ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यहां गोवंश की सही देखभाल नहीं की जा रही है, जिससे कई गायों की मौत हो चुकी है। इस प्रकरण को लेकर ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक उन्नाव सहित प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत कर न्यायपूर्ण कार्रवाई की मांग की है।

ग्रामीणों का आरोप है कि गौशाला का संचालन कर रहे जिम्मेदार लोग शासन की मंशा के विपरीत गोवंश की उपेक्षा कर रहे हैं। पशुओं को नियमित रूप से न तो पर्याप्त चारा दिया जा रहा है और न ही समय से पानी पिलाया जा रहा है। बताया गया कि यहां चारे के नाम पर केवल गन्ने की पत्तियाँ और भूसा खिलाया जा रहा है, जो गोवंश के लिए पर्याप्त पोषण नहीं देता। इस कारण गायें कमजोर होकर बीमार पड़ रही हैं और कई की मृत्यु हो चुकी है।

गांव के ही एक वीडियो में मृत गायों को ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर बाहर ले जाते हुए देखा गया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और गौशाला के संचालन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मृत गायों को छिपाकर बाहर फेंका जा रहा है, ताकि असलियत जनता के सामने न आ सके।

शिकायतकर्ताओं ने बताया कि गौशाला का संचालन देवेंद्र यादव व उनके साथियों द्वारा किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि इनके द्वारा शासन से मिलने वाले चारा-पानी और संसाधनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। वहीं गोवंश की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। आलम यह है कि गौशाला में मौजूद लगभग 200 से अधिक गोवंश भूख और प्यास से जूझ रहे हैं।

प्रार्थना पत्र देने वाले अमय सिंह, मुननी देवी (पूर्व प्रधान), हीरालाल (पूर्व प्रधान) सहित अन्य ग्रामीणों ने कहा कि यदि प्रशासन ने समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की तो यह समस्या और भयावह हो जाएगी। उन्होंने मांग की है कि गौशाला की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी संचालकों पर कड़ी कानूनी कार्यवाही हो, ताकि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही दोबारा न हो।

ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए, तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। उनका कहना है कि गौशाला का उद्देश्य गोवंश को सुरक्षित रखना और उनकी देखभाल करना है, लेकिन वर्तमान हालात इसके बिल्कुल विपरीत हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर गोवंश की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही हर स्तर पर जिम्मेदारी तय कर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि जिनकी वजह से गोवंश की जान जा रही है, वे दंडित हो सकें।

ग्रामीणों की इस शिकायत ने एक बार फिर प्रशासन की जवाबदेही पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि उच्चाधिकारियों की नजर इस प्रकरण पर कब पड़ती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।