नगर पालिका परिषद के 40 से ज्यादा कर्मचारी के आगे जिला प्रशासन नतमस्तक

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सन्दीप मिश्रा

सिद्धि संवाददाता – रायबरेली
रायबरेली। लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है । आदर्श आचार संहिता लग चुकी है । बड़े से बड़े कर्मचारी और अधिकारियों की छुट्टियां और नियुक्ति तय हो चुकी है। निष्पक्ष चुनाव कराने की बात हो रही है। लेकिन किसी को विश्वास हो सकता है कि इन सब के बाद एक विभाग ऐसा है जहां पर लगभग 40 से ज्यादा ऐसे कर्मचारी हैं जो अपने मूल पद पर काम ही नहीं कर रहे है। कहा जा सकता है कि यदि इनकी ड्यूटी मतदान के लिए लगाई जाए तो यह कर्मचारी इतनी पहुंच वाले हैं कि खुद सरकार बनने के बाद पहुंचते हैं और नतीजा यह होता है कि सरकार इनसे यह भी नहीं पूछ सकती है कि मतदान के समय आप अपनी ड्यूटी पर क्यों नहीं थे। क्योंकि खुद सरकार कहती है कि इन्हीं कर्मचारियों के बल पर तो सरकार ही चलती है । जी हां हम बात कर रहे नगर पालिका परिषद रायबरेली की जहां पर बैकलाग के समस्त कर्मचारियों को स्थाई तो कर दिया गया लेकिन आज तक उनसे मूल पद पर काम कराने की हिम्मत पालिका प्रशासन नहीं जुटा पाई है। नतीजा यह है कि जिलाधिकारी से लेकर नगर पालिकाध्यक्ष, अधिशाषी अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक लगातार शिकायत के दर्ज कराई जा चुकी है कि ये कर्मचारी अपनी मूल पद पर काम नहीं कर रहे हैं । लेकिन विभाग का यह मानना है कि अगर इतने कर्मचारियों को उनके मूल पद पर भेज दिया जाएगा तो नगर पालिका का सारा कारोबार ठप हो जाएगा। तो क्या यह समझा जाए की नगर पालिका के यही कमाऊ पूत है जिनकी वजह से नगर पालिका चल रही है और इसे काम करवाने की भी हिम्मत किसी को नहीं है। नही तो आखिरकार क्या वजह है एक ही वेतन एक ही पद पर नियुक्त कर्मचारियों में कुछ कर्मचारी लोगों की नाली नाला और गंदगी साफ करते हैं तो कुछ कर्मचारी अपने कपड़े की सिकुड़न भी नहीं टूटने देते हैं और सज धज कर विभाग में जाकर कुर्सियों पर बैठ जाते हैं। आखिरकार क्यों नगर पालिका परिषद अपने कर्मचारियों के साथ इस तरह दोगला और सौतेला व्यवहार कर रहा है कि एक कर्मचारी से गंदगी उठवा रहा है तो दूसरे कर्मचारियों को कुर्सी देकर उनको एसी० में चाय पानी नाश्ता करवाता है। तमाम कर्मचारियों का कहना है कि सालों से नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों की यह दुर्दशा चली आ रही है और इसे दूर करने की किसी भी सरकार में हिम्मत नही दिखाई दे रही है।