चारों तरफ से घिरा अकेला पीड़ित, कोई नहीं सहारा—आखिर कब मिलेगा न्याय?

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अनुज कुमार वर्मा 

ब्यूरो –सिद्धि टुडे, उन्नाव 

उन्नाव: जिले के राजेपुर क्षेत्र में हुए जानलेवा हमले ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था की पोल खोल दी, बल्कि यह भी दिखा दिया कि अकेला पीड़ित इंसाफ की लड़ाई में किस कदर बेबस और असहाय है।

 

पंकज राजपूत, जो एक साधारण नागरिक हैं, दबंगों के अत्याचार का शिकार हुए। चारों तरफ से घिरकर उन पर हमला किया गया, सिर पर गंभीर चोटें आईं, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में न कोई सहारा बना और न ही प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम उठाया।

 

अपराधी बेखौफ, पुलिस लापरवाह

 

हमलावरों की बेखौफ दबंगई इस कदर थी कि जिस बाइक (UP35AZ2192) से वे हमला करने आए थे, उसे घटनास्थल पर छोड़कर भाग गए। लेकिन अगली सुबह वे वापस आए और पुलिस की नाक के नीचे से अपनी बाइक उठा ले गए।

 

अब सवाल यह उठता है कि जब अपराधी खुलेआम पुलिस को चुनौती दे सकते हैं, तो क्या वे पीड़ित पर दोबारा हमला नहीं कर सकते? क्या प्रशासन सच में किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?

 

न इंसाफ, न सुरक्षा—कहां जाए पीड़ित?

 

पीड़ित परिवार दहशत में है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

 

पुलिस सिर्फ मुकदमा दर्ज कर बैठ गई, पर अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं।

 

गांववाले भी डरे हुए हैं, क्योंकि दबंगों के खिलाफ बोलने पर उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं।

 

 

क्या प्रशासन अपराधियों के सामने बेबस है?

 

पीड़ित पंकज राजपूत पर हमला करने वाले रवि यादव, मोहित यादव और सचिन यादव जैसे अपराधियों पर IPC की धारा 191(2), 333, 115(2), 352, 351(3), 118(1), 110 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, लेकिन गिरफ्तारी अब तक नहीं हुई।

 

अब क्या होगा?

 

क्या प्रशासन अपराधियों को खुला छोड़कर पीड़ित को अनहोनी का शिकार होने देगा?

 

क्या पुलिस सिर्फ कागजी कार्रवाई में ही इंसाफ दिलाएगी?

 

क्या दबंग ऐसे ही खुलेआम घूमते रहेंगे और पीड़ित अकेला न्याय के लिए भटकता रहेगा?

 

 

अब वक्त है कि प्रशासन अपनी निष्क्रियता छोड़े और अपराधियों पर त्वरित कार्रवाई करे। वरना यह सवाल हमेशा बना रहेगा—”क्या न्याय सिर्फ ताकतवरों के लिए है। ?”