कोरोना के मद्देनजर दो वर्षों से जुलूस निरस्त होने के कारण कोविड -19का पालन करते हुए मोमिनों ने इमामबाडे में जाकर अलम ,ताबूत की जियारात करके बिलख-बिलख कर रोये

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अनुज कुमार गौड़

सिद्धि संवाददाता-सफीपुर उन्नाव

कोविड -19 का पालन करते हुए मुहर्रम की नौ तारीख को हजरत इमाम हुसैन सहित बहत्तर शहीदों की यादगार में अलम, ताबूत , हजरत अली असगर झूले की गमगीन माहौल में जियारात करके आंसूओ के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करके याद किया और कोरोना वायरस की खातमे के लिए दुवाएं की।
कोरोना के मद्देनजर दो वर्षों से जुलूस निरस्त होने के कारण कोविड – 19 का पालन करते हुए मोमिनों ने  इमामबाडे में जाकर अलम ,ताबूत की जियारात करके  बिलख-बिलख कर रो रहे थे।
मौलाना रजीउल जाफर साहब मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना रजीउल जाफर साहब  ने कहा कि जो नमाजी नही वो हुसैनी नहीं ।
उन्होंने कहा इमाम हुसैन के बेटे अली अकबर रसूले खुदा की सूरत थे। जब भी हुसैन को नाना रसूल की ज्यारत करना होती थी तो बेटे अली अकबर को देख लेते थे। लेकिन जालिमों ने कर्बला के मैदान मे अकबर के कलेजे पर बरछी मारकर हम शक्ले पैगम्बर को भी शहीद कर दिया। कर्बला वालों की मुसीबतें सुनकर अजादार रोने लगे और मातम किया।