केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन किया।

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मनीष कुमार,
सिद्धि टुडे -उत्तर प्रदेश

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की कल्पना के अनुसार आज ये राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान अस्तित्व में आ रहा है
देश में अनेक जनजातीय अनुसंधान संस्थान काम कर रहे हैं लेकिन जनजातीय समाज की अनेक विविधताओं को राष्ट्रीय रूप से जोड़ने वाली कड़ी नहीं थी और श्री नरेन्द्र मोदी जी की कल्पना के अनुसार बन रहा ये संस्थान वो कड़ी बनेगा

आज़ादी के बाद पहली बार श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनजातीय गौरव दिवस मनाने की घोषणा भी की और मनाया भी

गुजरात के मुख्यमत्री रहते हुए मोदी जी ने जनजातीय समाज के समग्र विकास के लिए वनबंधु कल्याण योजना के रूप में एक ऐसी योजना शुरू की जिससे व्यक्ति, गाँव और क्षेत्र का समानांतर विकास हुआ

मोदी जी ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अनेक प्रकार की विविधता वाले इस देश के 8 प्रतिशत जनजातीय समाज के विकास को एक सूत्र में पिरोने के लिए इस संस्थान की कल्पना की थी

जनजातीय त्यौहारों को, उनकी मूल भावना को संजोए रखते हुए, आधुनिक स्वरूप देकर लोकप्रिय बनाने का काम भी करेगा, जनजातीय संग्रहालयों की विविधता, रखरखाव पर भी काम करेगा

एक प्रकार से समग्र जनजातीय समाज के विकास का ख़ाका खींचने का काम ये अनुसंधान संस्थान करेगा और आने वाले 25 सालों में जनजातीय विकास की रीढ़ की हड्डी बनने वाला है

प्रधानमंत्री मोदी ने शुरूआत से ही अनुसंधान संस्थान और जनशिक्षा पर बहुत बल दिया है, वर्ष 2014 में इसके लिए बजट सात करोड़ रूपए था जिसे 2022 के बजट में बढ़ाकर 150 करोड़ रूपए कर दिया गया

श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2014 में महसूस किया कि राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय नीतियां देश की सभी जनजातियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं

ये संस्थान राज्यों के साथ समन्वय, अनुसंधान, कर्मचारियों के प्रशिक्षण, अन्य संस्थानों की कैपेसिटी बिल्डिंग, डाटा संग्रह और जो अच्छे कार्य हुए हैं उनका प्रचार-प्रसार करके लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम करेगा

ये संस्थान जनजातीय त्यौहारों की मूल भावना को संजोए रखते हुए उन्हें लोकप्रिय बनाने व जनजातीय संग्रहालयों की विविधता और उनके रखरखाव पर भी काम करेगा

यह अनुसंधान संस्थान सरकार को नीतिगत जानकारी देगा, राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में भी काम करेगा, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए राष्ट्रीय ज्ञान केंद्र भी यहीं बनाया जाएगा

जनजातियों के सम्मान के लिए मोदी सरकार ने ढेर सारे काम किए हैं, कई राज्यों में ठुकराए और भुला दिए गए जनजातीय नेताओं को गौरव प्रदान करने का काम नरेंद्र मोदी जी ने किया है

चाहे खासी-गारो आंदोलन हो, मिज़ो आंदोलन हो, मणिपुर का आंदोलन हो, वीर दुर्गावती का शौर्य हो या रानी कमलावती का बलिदान हो, इन सबको गौरव देने का काम मोदी सरकार ने किया है

भगवान बिरसा मुंडा के साथ जोड़कर आदिवासी जनजातीय गौरव दिवस मनाने का भी हमने फैसला किया है और लगभग 200 करोड़ रूपए की लागत से 10 संग्रहालय भी हम बना रहे हैं

मोदी जी ने 2019 के बाद नॉर्थईस्ट में एक के बाद एक कई कदम उठाए हैं, कई जनजातियों के साथ समझौते किए हैं कि आज AFSPA को नॉर्थईस्ट के लगभग 66% से ज्यादा क्षेत्र से हमने उठा लिया है

पिछली सरकार के वर्ष 2006 से 2014 तक के आठ सालों में छोटी-छोटी घटनाओं को गिनकर पूर्वोत्तर में 8700 घटनाएं हुईं थीं जबकि नरेंद्र मोदी जी के 8 सालों के शासन में इन घटनाओं में लगभग 70% की कमी आई है

पहले 304 सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु हुई थी जिसमें अब 60% की कमी आई है, नागरिकों की मृत्यु का आंकड़ा भी पहले की तुलना में 83% तक कम हुआ है और इन सबसे आप कल्पना कर सकते हैं कि नॉर्थईस्ट में कितना बड़ा बदलाव आया है

एकलव्य स्कूल के लिए 278 करोड रूपए का बजट था जिसे इस साल के बजट में बढ़ाकर 1,418 करोड़ रूपए करने का काम हमने किया है

एकलव्य स्कूलों में खिलाड़ियों को तैयार करने की विशेष व्यवस्था हमने की है, और यही बताता है कि नरेंद्र मोदी सरकार कितनी बारीकी से चीजों को सोचती है

सबसे ज्यादा जनजातीय सांसद आज हमारी पार्टी के हैं, सबसे ज्यादा जनजातीय मंत्री और नीतियां बनाने का गौरव भी श्री नरेन्द्र मोदी जी को प्राप्त है

2014 में छात्रवृत्ति पर 978 करोड़ रूपए खर्च किए जाते थे और अब 2,546 करोड रुपए खर्च किए जाते हैं

जनजातीय योजनाओं के लिए 2014 में 21,000 करोड़ रूपए आवंटित किए गए थे जिसे 2021-22 में बढ़ाकर 86,000 करोड़ रूपए किया गया और इसमें से 93% खर्च भी किया गया

पिछली सरकारें पहले जनजातीय कल्याण की बात तो करती थीं, लेकिन आदिवासी के घर में पानी, शौचालय नहीं था, स्वास्थ्य कार्ड नहीं था, कोई आवास योजना नहीं थी, किसान सम्मान निधि नहीं मिलती थी

आज हर घर जल योजना के तहत 1.28 करोड आदिवासी घरों में नल से जल पहुंच चुका है, 1.45 करोड़ आदिवासियों के घर में शौचालय है, 82 लाख जनजातीय परिवारों को आयुष्मान कार्ड दिया गया है

यह सारे काम जनजातीय कल्याण के लिए मोदी जी ने 8 साल में किए हैं लेकिन पहली बार स्ट्रक्चरल तरीके से देशभर की जनजातियों को, छोटी से छोटी जनजाति को समाहित करके, उसके कल्याण की योजना यह अनुसंधान केंद्र बनने के बाद बनेगी, इसका मुझे पूरा विश्वास है