एसडीएम के संरक्षण में पनपे भृष्टाचार का मामला पहुँचा राजस्व परिषद

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अभिषेक मिश्र

सिद्धि संवाददाता – हसनगंज

प्राईवेट कर्मचारी से काम कराने वाले आर के बाबू पर गिरी गाज
हुये निलंबित जबकि फर्जी करने वाले से अभी भी एसडीएम मेहरबान होकर काम करने की छूट दिये हुये है। तहसील में रजिस्टार कानूनगो प्राईवेट कर्मचारियो से सरकारी अभिलेखो से लेकर न्यायालय तक काम करने के नाम से अधिकारी पैसा न देकर पीडित व वादकाररियो से जमकर धन उगाही करके बंदरबांट किया जाता हैं।जिससे फरियादी से लेकर अधिवक्ता तक त्रस्त हैं।
लेकिन एसडीएम से भृष्टाचारियों की कोई शिकायत भी करता है तो एसडीएम उसे उल्टे एफ आई आर दर्ज कराकर जेल भेजने की धमकी देते है।जिसका नतीजा है कि भृष्ट रजिस्टार कानूनगो राम बहादुर सिंह ने खबर छपने से बौखलाकर एक अखबार के पत्रकार से भी हाथापाई कर एस डी एम के पास शिकायत करने पर उल्टे पत्रकारो पर एफ आई आर दर्ज कराने का आदेश 15 जुलाई कर दिया।जिससे आक्रोशित क्षेत्र के दर्जनो पीडित व सभरांत लोगों ने ढाई वर्ष से जमे एसडीएम प्रदीप वर्मा के कारनामों की जांच कराकर कार्यवाही कराने के लिए राजस्व परिषद में शिकायत की है।जिसमें शिकायत कर्ताओं ने बताया कि तहसील में बगैर रिश्वत दिए कोई भी सरकारी व गैर सरकारी कार्य नही होता है।जिससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है।एसडीएम खुद उगाई करने के लिए तहसील में पूरी छूट दिए हुए हैं ।रिश्वतखोरी के चलते एसडीएम का नियंत्रण लेखपालों व कर्मचारियो पर नही रह गयी है।जिससे लेखपाल अपने तैनाती गांव में न जाकर घर बैठे सहायक मुंशी से काम कराते हैं ।जिसका खामियाजा तहसील की आम जनता को झेलना पड़ रहा है।

*एसडीएम को मोटी कमाई कराता आर के बाबू राम बहादुर जिससे नही हुयी कार्यवाही*

एसडीएम को सबसे ज्यादा कमाई कराने वालों में तहसील के रजिस्ट्रार कानूनगो राम बहादुर है।एसडीएम से साठगांठ होने से उसने पंचायत चुनाव में वोट बढ़ाने और काटने का खूब खेल किया।जिसके बदले में उसने मोटी रकम वसूली जिसका बंदरबांट एसडीएम संरछड होने की वजह से कई शिकायतों में दोष सिद्ध होने के बावजूद कोई कार्यवाई नही की गई।कार्यवाही न होने से बाबू के हौसले बुलंद है। यदि कोई विरोध करता तो उसके साथ मारपीट पर उतारू होकर उल्टे एफ आई आर दर्ज कराने की धमकी देता है।

*फर्जी हस्ताक्षर करने वाले पर मेहरबान एसडीएम*

एसडीएम के संरक्षण में पनपे भृष्टाचार से प्राइवेट कर्मचारी अखिलेश पाल ने नायब तहसीलदार की गैर मौजूदगी में फर्जी हस्ताक्षर बनाकर फाइल निस्तारण कर दिया।जिसका लोक भारती के द्दारा छपने के बाद एसडीएम ने कार्यवाही के बजाय फिर तहसील में काम करना शुरू कर दिया।

इनसेट
15 जुलाई को एक दैनिक अखबार के पत्रकार सर्वेश रावत अपने किसी काम से गये थे तभी खबरो से परेशान आर के बाबू राम बहादुर सर्वेश को देखते ही भडक गया जब तक पत्रकार कुछ समझ पाते तब तक बाबू रामबहादुर जाति सूचक गालियां देकर मारपीट करने लगा। जिस पर पीड़ित पत्रकार ने एसडीएम प्रदीप वर्मा की लिखित शिकायत राजस्व परिषद अध्यक्ष से लिखित शिकायत कर जाँच की गुहार लगाई है।पीड़ित ने आरोप लगाया कि 3 वर्ष के करीब होने वाले है एसडीएम एक ही जगह तैनात होने से मनमानी कर रहे है जिससे गरीब जनता को न्याय नही मिल पा रही है।जिससे समास्याये जस की तस बनी हुयी है।
उधर हलांकि डी एम रविंद्र कुमार
ने नायब तहसीलदार मंजुला मिश्रा के फर्जी हस्ताछर बनाने वाला तो बच गया लेकिन आर के पी के मिश्रा को संस्पेड कर दिया गया है।आर के मिश्रा को दो महीने सेवा निवृत्त होना था ।लेकिन फर्जी हस्ताछर बनाने वाला प्राईवेट कर्मचारी अखिलेश पाल फिर भी कार्यवाही न होने से एस डी एम की मौजूदगी में काम करना शुरू कर दिया है।जिससे वादकाररियो व अधिवक्ताओ मे रोष व्याप्त हो रहा है।