सिद्धि संवाददाता लखनऊ
लखनऊ, 23 नवंबर 2024: टीएस मिश्रा विश्वविद्यालय ने हरौनी, सरोजिनी नगर, लखनऊ के गांव में पहला विधिक सहायता शिविर सफलतापूर्वक आयोजित किया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को उनके कानूनी अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना और नि:शुल्क विधिक परामर्श प्रदान करना था। साथ ही, विधि के छात्रों को ग्राहक परामर्श (Client Counselling) और वास्तविक विवाद समाधान का व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना था।
शिविर का शुभारंभ टीएस मिश्रा विश्वविद्यालय के विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर (डॉ.) सी.पी. सिंह के उद्घाटन भाषण से हुआ। उन्होंने कहा, “टीएस मिश्रा विश्वविद्यालय न केवल उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी प्रयासरत है। यह विधिक सहायता शिविर हमारी सामाजिक जिम्मेदारी का हिस्सा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके और उन्हें न्याय पाने में सहायता प्रदान की जा सके।”
गांव के प्रधान ने भी शिविर के महत्व पर जोर दिया और ग्रामीणों से कहा कि वे अपनी समस्याओं को बेझिझक साझा करें। उन्होंने टीएस मिश्रा विश्वविद्यालय की टीम का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस तरह के शिविर ग्रामीणों के लिए बेहद लाभकारी होते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एडवोकेट आयुष प्रताप सिंह, जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ पीठ) के अधिवक्ता हैं, ने ग्रामीण विवादों के समाधान के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी शिक्षा और अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे लंदन विश्वविद्यालय से LLM में स्वर्ण पदक विजेता हैं और स्वीडन से अंतरराष्ट्रीय मध्यस्तता में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। साथ ही, वे एक अंतरराष्ट्रीय विधिक फर्म TLPL के भारतीय कार्यालय के प्रमुख हैं।
मुख्य अतिथि ने ग्रामीण इलाकों में प्रचलित विवादों जैसे भूमि विवाद, पारिवारिक विवाद, श्रम और वेतन विवाद, तथा सरकारी योजनाओं से जुड़े मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे बड़ी समस्या है जानकारी और सही मार्गदर्शन की कमी। यह विधिक सहायता शिविर न केवल इन समस्याओं को हल करेगा, बल्कि ग्रामीणों को उनके अधिकारों के प्रति सशक्त भी बनाएगा।” उन्होंने यह भी वचन दिया कि अगर कोई ग्रामीण टीएस मिश्रा विश्वविद्यालय के माध्यम से उनके पास आता है, तो वे उन्हें नि:शुल्क विधिक परामर्श देंगे।
शिविर में डॉ. शिप्रा मिश्रा के निर्देशन में छात्रों ने एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें ग्रामीणों की समस्याओं और उनके समाधान के लिए कानून का महत्व बताया गया। यह नाटक ग्रामीणों के बीच काफी लोकप्रिय रहा और इसे सराहा गया।
शिविर में ग्रामीणों को नि:शुल्क विधिक परामर्श के लिए आमंत्रित किया गया। टीएस मिश्रा विश्वविद्यालय की अनुभवी अधिवक्ताओं की टीम ने ग्रामीणों की समस्याओं को सुना और उन्हें उचित कानूनी सलाह दी। विधि के छात्रों ने भी इस प्रक्रिया में भाग लिया, जहां उन्होंने कानूनी फॉर्म भरने, डेटा संग्रह और ग्राहक परामर्श जैसे व्यावहारिक कौशल सीखे।
प्रोफेसर यू.एन. तिवारी ने कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया। उन्होंने कहा, यह विधिक सहायता शिविर हमारे सामाजिक उत्तरदायित्व का एक हिस्सा है, जिसे हम भविष्य में और बड़े स्तर पर जारी रखेंगे।”
कार्यक्रम के अंत में, विधिक टीम ने गांव के स्कूल का दौरा किया और बच्चों को 112 (पुलिस सहायता) और 1098 (बाल हेल्पलाइन) जैसे आपातकालीन नंबरों की जानकारी दी। उन्होंने बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया और उन्हें कड़ी मेहनत कर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
यह विधिक सहायता शिविर न केवल ग्रामीणों के लिए बल्कि विधि के छात्रों के लिए भी एक अनूठा अवसर था। इसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग को न्याय तक पहुंचाने और उन्हें जागरूक बनाने का संदेश देना है। टीएस मिश्रा विश्वविद्यालय के प्रयासों ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा का असली उद्देश्य समाज के हर व्यक्ति को सशक्त बनाना है।
चांसलर श्री सतीश चंद्र मिश्र एवं प्रो चांसलर श्री कपिल मिश्र ने शिविर के सफ़ल आयोजन के लिए विभाग को बधाई दी और भविष्य में ऐसी ही शिविर आयोजित होते रहें, ऐसी कामना के साथ सभी छात्र छात्राओं तथा प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।