सिद्धि संवादाता – लखनऊ
विधि संकाय लखनऊ विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के तत्वाधान में एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन नई शिक्षा नीति और विधिक शिक्षा विषय पर किया इस वेबीनार में मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि प्रोफेसर बलराज सिंह चौहान ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विधिक शिक्षा के योगदान में शिक्षाविदों डॉक्टर राम उग्रह सिंह प्रोफेसर पीके त्रिपाठी प्रोफेसर माधव मेनन प्रोफेसर मित्रा जैसे विद्वानों का योगदान रहा है जिन्होंने विधि संकाय एवं राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयो के माध्यम से विधिक सेवा प्रदान करने का अप्रतिम कार्य किया उन्होंने पिछली शिक्षा नीतियों एवं समितियों की सिफारिशों का वणॅन करते हुए यह बताया कि शिक्षा का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण है तथा एक सर्वाधिकारवादी समाज का निर्माण करना है उन्होंने कहा कि यह एक उपयुक्त समय है जहां विधिक शिक्षा भाषा संस्कृति एवं मूल्य पर आधारित होनी चाहिए उन्होंने विधि विद्यार्थियों के मेंटरिंग प्रोग्राम को भी उद्धृत करते हुए नेशनल मिशन ऑफ मेंटरिंग का वणन करते हुए कहा कि आज विद्यार्थियों के उचित प्रशिक्षण हेतु मेंटर्स का भी योगदान आवश्यक है उन्होंने यह कहा कि विधिक शिक्षा सभ्यता के पारेषण का कार्य करती है और उन्होंने यह कहा कि आज उपयुक्त समय है कि अब हम अनुभव मुलक शोध पद्धति पर उचित बल प्रदान करें
वेबीनार में सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर सी पी सिंह ने यह कहा कि यह वेबीनार उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के तत्वाधान में आयोजित किया गया है उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी जी की इस नई पहल नई शिक्षा नीति 2020 का वणनॅ करते हुए कहा कि शिक्षा नीति का उद्देश्य एक ऐसी शिक्षण व्यवस्था प्रदान करना है जिसका केंद्र बिंदु विद्यार्थी है उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय आदरणीय प्रोफेसर आलोक कुमार राय के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए कटिबद्ध हैं उन्होंने यह भी कहा कि परास्नातक विधिक शिक्षा में हमने सीबीसीएस सिस्टम लागू किया और हम नई शिक्षा नीति के अनुसरण में स्नातक शिक्षा के अधीन भी बदलाव ला रहे हैं उन्होंने यह कहा कि यदि विधिक शिक्षा में गुणात्मक रूप से अभिवृद्धि करनी है तो विधिक शिक्षा को भी चिकित्सीय शिक्षा के समान ही अवसर प्रदान करना होगा कुछ शिक्षकों को विधिक व्यवसाय के लिए अनुमत किया जाना चाहिए ताकि वह विद्यार्थियों को प्रायोगिक न्याय के साथ प्रायोगिक ज्ञान प्रदान करने में सक्षम हो सकें गेस्ट ऑफ आनर आदरणीय आर एन ककड साहब सेवानिवृत इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने विचार विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यार्थियों में प्रायः विधि की अज्ञानता के दर्शन होते हैं उन्होंने कहा कि विधि का ज्ञान एक सतत प्रक्रिया है यह एक बहुत ही विशाल और विषम विषय है अतः विद्यार्थियों को हमेशा विधि के अन्य व्यवसाय में अपने आपको तल्लीन करना चाहिए उन्होंने संविधान जैसे सामाजिक दस्तावेज का उद्घरण करते हुए यह कहा कि विधिक शिक्षा के सभी प्रतिभागियों का मूल उद्देश्य न्याय प्रदान करना और न्याय करने का कार्य करना है उन्होंने यह भी कहा कि विधि का मूल उद्देश्य एकीकृत ज्ञान को नई पीढ़ी को सौपना है ताकि वह एक बहुलवादी समाज की चुनौतियों का सामना कर सके वेबीनार मे अधिवक्ता रोहित पांडे जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भाषा विधिक शिक्षा में कई बार बाधा का कार्य करती है क्योंकि विधिक शिक्षा मूल रूप से अंग्रेजी में प्रदान की जाती है और इसमें जो मूल प्रतिभागी है वादकारी उसे अपने ही वाद में होने वाले विषयों का कोई ज्ञान नहीं हो पाता क्योंकि विधि का सारा कार्य अंग्रेजी में होता है उन्होंने यह भी कहा कि विधि संकाय एवं विधि विश्वविद्यालयों को अपने पुरा छात्रों को अपने संकाय से जोड़ने की पहल करनी चाहिए साथ ही साथ वादकारियों के पंबधन की कला भी विकसित करनी चाहिए वेबीनार के अंत में कार्यक्रम समन्वयक डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया और साथ ही साथ हर्ष व्यक्त किया कि यह यह वेबीनार नई शिक्षा नीति में विधिक शिक्षा के बारे में एक मील का पत्थर साबित होगा l