सिद्धि संवाददाता – उन्नाव
उन्नाव जिले के सिकंदरपुर सिरोसी ब्लॉक के ग्राम दोस्तीनगर में निर्गुण संत बदन साहब की समाधि पर दिनांक 07 तथा 08 मार्च को भव्य संतसंग मेले का आयोजन हुआ, जिसमे देश के विभिन्न राज्यों तथा प्रदेश के विभिन्न जिलों से आध्यात्म प्रेमी सपरिवार शामिल हुए तथा संत सतगुरु मीता दास जी, संत बदन साहब तथा सोधी साहब आदि की अमृत वाणी के सरल व्यख्या साहित मनोरम पाठ से लाभान्वित हुवे |
संत बदन साहब का जन्म सन् 1718 ईस्वी में उन्नाव जनपद के ग्राम दोस्ती नगर में हुआ,और उनका पूरा नाम ‘बदन सिंह चौहान’ था । आप संत सतगुरु मीता दास जी के शिष्य थे। आपने 19 निर्गुण पद व एक दोहे की रचना की। आपने फाल्गुन शुक्ल पंचमी सन् 1804 ईस्वी में शरीर छोड़ा। दोस्ती नगर में आपकी समाधि बनी है जिसमे पिछले लगभग 218 वर्षो से लगातर फाल्गुन शुक्ल पंचमी तथा छठी को सत्संग मेले का आयोज़न किया जाता है|
सत्संग मेले में मूलत: संत मीता साहब के बानी वचन का पाठ आयोजित किया जाता है। संत मीता साहब का भव्य समाधि स्थल उन्नाव जनपद की पुरवा तहसील में उपस्थित है जिसका निर्माण तत्कालिन राजा डौडियाखेड़ा बाबू बैरीशाल द्वारा किया गया था। मीता साहब ने संवत 1780 से संवत 1790 के मध्य जनवाणी में 3000 दोहों और 1000 निर्गुण पद की रचना की, जो वर्तमान में निर्गुण आध्यात्म पर विशालतम उपदेश है। महान निर्गुण संत कबीर दास जी, गुरु नानक, संत मलूक दास, संत नामदेव, संत धर्मदास जी की भाति मीता दास जी ने मानव जीवन को ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र अवसर बताया है । ईश्वर दूत मीता साहब ने अपने उपदेश के माध्यम से गृहस्थ का पालन करते हुए ईश्वर की भक्ति की सच्ची राह का मार्ग प्रशस्त किया है। संत मीता साहब की अमृतवाणी का संकलन ब्रह्मलीन गुरु नारायण कुशवाहा जी द्वारा “परमग्रंथ” नाम से प्रकाशित किया गया। अमृतवाणी का पाठ दीननगर, हरदोई के डॉ मदन सिंह, बरबट के हरि शंकर यादव, पवन, राधे, उन्नाव की अमित कुशवाहा आदि द्वारा किया गया।
मीता साहब की वाणी का व्यख्या साहित्य मनोरम पाठ यूट्यूब चैनल “सत्संग संत मीता साहब” पर उपलब्ध है।
सत्संग मेले में आए संगतियों के लिए दोस्तीनगर ग्राम प्रधान गौरव सिंह , तथा अन्य अनुयायियों द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।